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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 7

विकास, अल्पविकास एवं
सतत् विकास की अवधारणा

(Concept of Development, Underdevelopment
and Sustainable Development)

प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |

उत्तर -

विकास

अनुसंधान के एक क्षेत्र के रूप में विकास अध्ययन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद में युद्ध - ग्रस्त देशों के पुनर्निर्माण और इसे परिचर आर्थिक विकास के साथ उनकी उत्पत्ति हुई है। एक विचारधारा के रूप में विकास की उत्पत्ति का पता उन्नीसवीं सदी में औद्योगीकरण के युग से लगाया जा सकता है। मैक्स वेबर, कार्ल मार्क्स और एमिल दुर्खीम जैसे राजनीतिक और सामाजिक विचारकों ने आम अवलोकन के आधार पर अलग-अलग दृष्टिकोणों की पेशकश की कि समाज 'पारंपरिक' रूपों से बदल रहा था जो कि अंधविश्वास, भाग्यवाद या भावनाओं से लेकर उपजे अधिकार और विश्वास आधारित था। कार्यकुशलता और तर्कशीलता के साथ-साथ दक्षता पर जोर देने और दुनिया को वैज्ञानिक रूप से समझाने की क्षमता के प्रयोग के प्रभुत्व वाले आधुनिक रूपों तक जाता है। प्रमुख विचारकों की विरासत को व्यापक रूप से विकास सिद्धान्त की उत्पत्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है, आधुनिकीकरण सिद्धान्त का रूप लेता है।

इसके अलावा यदि इस अवधारणा के इतिहास को देखें तो पायेंगे कि दूसरे विश्व युद्ध से उभरते विभिन्न देशों और उपनिवेशवाद से मुक्त होने की प्रक्रिया ने नीति के रूप में विकास की नींव रखी। गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक बहिष्कार (संयुक्त राष्ट्र, 1995, सामाजिक विकास के लिए विश्व शिखर सम्मेलन की रिपोर्ट) की प्रमुख सामाजिक समस्याओं के समाधान पर ध्यान देने के साथ इस अवधारणा को और मजबूत किया गया।

वेबस्टर ने तर्क दिया कि विकास सम्बन्धी समस्याओं को समझने के लिए हमें वैश्विक रूप से गरीब देशों के स्थान को उनके सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों के संदर्भ में एक-दूसरे के साथ जांचना होगा। दूसरी बात यह है कि विकास पर जो प्रभाव पड़ेगा, उसके संदर्भ में विशेष समाजों की विशेष विशेषताओं का भी अध्ययन करना प्रमुख विचार है। सामाजिक विकास के सम्बन्ध में सांस्कृतिक और आर्थिक प्रक्रियाओं के अंतःक्रियात्मक परिणामों का विश्लेषण करने की भी आवश्यकता है। ऐतिहासिक अतीत और योजनाओं के संदर्भ में विभिन्न सरकारों के राजनीतिक निर्णय और सामाजिक विकास के लिए उनके निष्पादन को भी अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के प्रभाव का आंकलन करने के लिए जांच की आवश्यकता होती है।

उपर्युक्त सुविधाओं का उपयोग करते हुए, भूगोलविदों और डेवलपर्स ने दुनिया के विकास के स्तर को दिखाने के लिए विभिन्न श्रेणियों और मानचित्रों का चित्रण किया है। ऐसा ही एक वर्गीकरण अल्फ्रेड सॉवी ने अपने 1952 के लेख 'थ्री वर्ल्डस, वन प्लैनेट' (सोलरज, 2012) में तैयार किया था। तीन क्रम की दुनिया की अवधारणा फ्रांसीसी समाज की पारंपरिक सामाजिक संरचना पर आधारित है, यहाँ कुलीनता शीर्ष क्रम था; पादरी दूसरे और बाकी लोग तीसरे क्रम में गिने जाते थे। उन्होंने पूँजीवादी देशों को प्रथम विश्व, साम्यवादी देशों को द्वितीय और शेष अन्य देशों को तीसरी दुनिया के रूप में चित्रित किया।

यह वर्गीकरण हमें विकसित बाजार अर्थव्यवस्था वाले देशों को पहली दुनिया के रूप में आंशिक रूप से समझने में मदद करता है, जो देश औद्योगीकृत हैं या औद्योगीकरण की प्रक्रिया में हैं और उन्हें दूसरी दुनिया के रूप में निर्देशित किया जाता है और तीसरी दुनिया के रूप में सबसे कम विकसित और गरीब देशों को कहा जाता है।

विश्व बैंक ने निम्न और मध्यम आय वाले विकासशील देशों (विश्व विकास रिपोर्ट, 1978) के बीच भी अंतर किया। उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड प्रथम विश्व की श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। दूसरा विश्व - पूर्व- सोवियत संघ (सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक यूनियन-उत्तरी यूरेशिया में एकसंघीय संप्रभु राज्य के रूप में 1922 से 1991 तक अस्तित्व में) जैसे राज्य - नियंत्रित कम्युनिस्ट देशों से मिलकर बना था। तीसरा विश्व - अन्य सभी अल्प विकसित देशों का प्रतिनिधित्व करता है।

विभिन्न विकास रिपोर्टों के साहित्य की समीक्षा विभिन्न सांख्यिकीय प्रमाण प्रदान करके हमें विकास के स्तरों के संदर्भ में सक्षम बनाती है। आमतौर पर वे जनसंख्या वृद्धि, जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य, शिक्षा, नागरिकता, आय वितरण, औद्योगीकरण और ऊर्जा की खपत जैसी विशेषताओं का उल्लेख करते हैं। यह ध्यान दिया जाता है कि अमीर और गरीब के बीच की खाई बड़ी है। तीसरी दुनिया के देशों में अधिकांश लोग बहुत गरीब हैं। इन देशों का एक औपनिवेशिक अतीत भी है। व्यापक रूप से फैली गरीबी महत्वपूर्ण संसाधनों के दुरुपयोग के साथ हाथ में जाती है, उदाहरण के लिए बहुत श्रम बहुत समय के लिए बेकार है, जबकि जब उपयोग में श्रम उत्पादकता बहुत कम है। यह भी देखा जा सकता है कि कुछ देशों ने निरंतर विकास हासिल किया है जो उन्हें विकसित करने की अनुमति देता है जबकि अन्य कई ऐसा नहीं कर सकते। उन दोनों के बीच यह अंतर अनुशासन के संस्थापक पिता (यानी, स्मिथ, रिकार्डो, माल्थस, मार्क्स) के दिनों से अर्थशास्त्र के मूल में रहा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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